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शुक्रवार

महाकुंभ मेला का इतिहास और महत्व** | History and Importance of Maha Kumbh Mela** | India and Kumbh Mela


 **महाकुंभ मेला का इतिहास और महत्व**  


महाकुंभ मेला भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक अनूठा पर्व है। यह मेला हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज (गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा नदी पर), उज्जैन (शिप्रा नदी पर), और नासिक (गोदावरी नदी पर)—पर बारी-बारी से आयोजित होता है।  


### **महाकुंभ मेले का इतिहास**  

महाकुंभ मेले का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि पुराणों, महाभारत और अन्य हिन्दू धार्मिक साहित्य में मिलता है।  

- **पौराणिक कथा**:  

  महाकुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है। देवता और असुर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे। जब अमृत कलश निकला, तो इसे लेकर देवता और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।  

- **ऐतिहासिक संदर्भ**:  

  इसका पहला लिखित उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं सदी में किया था। उसने प्रयागराज में गंगा के किनारे एक विशाल मेले का वर्णन किया, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते थे।  


### **महत्त्व**  

1. **धार्मिक महत्त्व**:  

   कुंभ मेला हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि इस मेले में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।  

   

2. **सांस्कृतिक एकता**:  

   महाकुंभ मेला विविधता में एकता का प्रतीक है। इसमें सभी जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं, जिससे भारतीय संस्कृति की समृद्धि और एकता का प्रदर्शन होता है।  


3. **आध्यात्मिक जागृति**:  

   मेले के दौरान साधु-संतों, योगियों और धर्मगुरुओं का प्रवचन और सत्संग होता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करता है।  


4. **अंतरराष्ट्रीय पहचान**:  

   महाकुंभ मेला न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसे 2017 में यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई।  

**विशेष आकर्षण**  

- **शाही स्नान**:  

  कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान है, जिसमें नागा साधु और अन्य साधु विशेष तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।  

- **अखाड़ों की परंपरा**:  

  विभिन्न अखाड़े (संतों के संगठन) मेले में अपनी परंपराओं और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।  

 **निष्कर्ष**  

महाकुंभ मेला भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

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