रविवार

हींगलाज माता मंदिर | hingalaj Mata mandir Pakistan | hinglaj Mata history | Bhavsar samaj


🐅🐅🐅भावसार समाज 🐅🐅🐅

भावसार क्षत्रिय समाज के लोग विशेष रूप से भारत के दक्षिण पश्चिम प्रांतों में निवास करते हैं| मध्य राजस्थान, गुजरात, महाराष्ट्र, कर्नाटक, क्षेत्रोंप्रदेश, तमिलनाडु गोवा में भावसार समाज का बाहुल्य और दिल्ली और छत्तीसगढ़ में अल्प संख्या में भावसार समाज के लोग निवास करते हैं |
भावसार जाति की उत्पत्ति के बारे में अलग-अलग किवंदतियां प्रचलित हैं प्रथम किवंदति के अनुसार प्राचीन काल में भार्गव जमदग्नि ऋषि के पास कामधेनु 'गो' थी | शत्रिय राजा कार्तवीर्य ऋषि के आश्रम से कामधेनु गाय का अपहरण कर लिया गया था इस घटना से क्रोधित होकर ऋषि श्री पुत्र परशुराम ने प्रथ्वी को क्षत्रिय विहिन करने का व्रत लिया | व्रत सत्यापन के लिए परशुराम हाथ में फरसा के लिए क्षत्रियो का सहार करने निकले | वे सिंध प्रदेश में भी पहुंचे | सिंध प्रदेश के एक ग्राम में भावसिंह एंव सारसिंह नाम के दो क्षत्रिय भाई रहते थे, जो राजाज्ञा से ग्राम रक्षा के प्रभार थे | राजा ने परशुराम जी के आने की खबर जानकर नगर सेठ एंव राजपुरोहित को बुलाकर विचार किया और दोनों भाइयो की रक्षा के लिए उनके विवाह नगर सेठ एंव राजगौर की पुत्रियों से कर दिया | सिंध प्रदेश के उक्त ग्रामों में परशुराम जी के समझौते पर उनके दोनों भाई क्षत्रिय नहीं हे, ऐसा परिचय बताया तो परशुराम जी ने उन्हें छोड़ दिया | कालांतर में दोनों भाई-बहनों को उनके संबंधित देश से संबंधित देश में बुलाया जाने लगा है (भाव + सार = भावसार )
दूसरी दंतकथा के अनुसार जब परशुराम क्षत्रियो का संहार कर रहे थे तब भसिंह एंव सारसिंह माँ हिंगलाज की शरण में आए ओर दोनों भाईयो की भक्ति भावना से प्रसन्न होकर हिंगलाज माता ने अपनी चुनी रक्षा की और नाम के पहले शब्द भाव एंव सार को मिलाकर भावसार नाम दिया। मूल क्षत्रिय वंश के होने और माता की चुनरी से रक्षण होने से माता ने परिधान (चुनरी) रंगने, छापने का व्यवसाय गोद लेने को कहा, तबसे भावसार परिधान रंगने छापने का व्यवसाय करने लगे |
तीसरी दंत कथा के अनुसार सिंध प्रदेश में सुरसेन नाम के क्षत्रिय हुए राजा | उनके भसिंह अंव सारसिंह नाम के दो बेटे थे | राजा ने परशुराम के व्रत से पुत्रों की रक्षा के लिए माता-पिता से प्राथना की | प्रसन्न माता ने सुरसेन के पुत्रों की रक्षा के वचन दिए और परशुराम को उनके वध करने से रोक दिया जिससे धर्म संकट पैदा हुआ, एक ओर परशुराम जी का व्रत और एक माँ शक्ति स्वरूप स्वयं | ऐसी विकट स्थिति के समय वहां भगवान राम-लक्ष्मण प्रकट हुए और उन्होंने निश्चित किया कि भावसिहं एंव सारसिंह अपना व्यवसाय (क्षत्रिय कर्म) बदलेंगे एंव यहां से जावेगें तथा उनके संबंध भावसार कहलाएंगे | माता ने विभिन्न वनस्पतियों से रंग निर्माण कला सिखाई तथा रंग छापने का वयसाय करने को कहा एंव भावसार नाम दिया
गौत्र पुराण के अनुसार भावसार मूल क्षत्रिय जो वंश के कृत्य के लिए सिंध से पंजाब की ओर गया | भारत पर मुगलों के आक्रमण के समय राजस्थान और गुजरात की ओर आए और वहां से अलग-अलग प्रांतों में गए रंग छापने के ववसाय के करना बड़ी नदियाँ, बड़े तालाब और गर्म पानी वाले क्षेत्रों में भैसर बस गया | वर्तमान में हर क्षेत्रो में भावसार अपना योगदान दे रहे हैं
🌹जय हिंगलाजी माता🌹
🌺🌴 माता रानी 

शनिवार

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शुक्रवार

भारत सरकार महिला योजना माहिती 2025 में महिला आयोग


 भारत में महिलाओं के सशक्तिकरण, उनकी सुरक्षा, शिक्षा, स्वास्थ्य और आर्थिक उत्थान के लिए कई सरकारी योजनाएं चलाई जाती हैं। यहां महिलाओं के लिए प्रमुख योजनाओं की सूची दी गई है:


1. प्रधानमंत्री उज्ज्वला योजना (PMUY)

  • लक्ष्य: ग्रामीण महिलाओं को स्वच्छ ईंधन (LPG) उपलब्ध कराना।
  • लाभ: गरीबी रेखा के नीचे जीवनयापन करने वाली महिलाओं को मुफ्त एलपीजी कनेक्शन।

2. प्रधानमंत्री मातृ वंदना योजना (PMMVY)

  • लक्ष्य: गर्भवती महिलाओं और धात्री माताओं को पोषण सहायता प्रदान करना।
  • लाभ: 5000 रुपये तक की आर्थिक सहायता।

3. महिला शक्ति केंद्र (MSK)

  • लक्ष्य: ग्रामीण महिलाओं को सशक्त बनाना।
  • लाभ: कौशल विकास, शिक्षा, स्वास्थ्य और सुरक्षा पर कार्य।

4. बेटी बचाओ, बेटी पढ़ाओ योजना

  • लक्ष्य: कन्या भ्रूण हत्या रोकना, लड़कियों की शिक्षा को प्रोत्साहन देना।
  • लाभ: जागरूकता अभियान और शिक्षा से संबंधित योजनाओं का प्रावधान।

5. सुकन्या समृद्धि योजना (SSY)

  • लक्ष्य: लड़कियों की शिक्षा और विवाह के लिए वित्तीय योजना।
  • लाभ: उच्च ब्याज दर के साथ कर-मुक्त बचत।

6. वन स्टॉप सेंटर योजना

  • लक्ष्य: महिलाओं के खिलाफ हिंसा को रोकने और सहायता प्रदान करना।
  • लाभ: महिलाओं को कानूनी, चिकित्सा और मनोवैज्ञानिक मदद।

7. राष्ट्रीय क्रेच योजना

  • लक्ष्य: कामकाजी महिलाओं के लिए उनके बच्चों की देखभाल की सुविधा।
  • लाभ: 0-6 साल तक के बच्चों के लिए क्रेच सेवाएं।

8. कामकाजी महिला हॉस्टल योजना

  • लक्ष्य: कामकाजी महिलाओं के लिए सुरक्षित और किफायती आवास।
  • लाभ: शहरी क्षेत्रों में हॉस्टल की सुविधा।

9. दीनदयाल अंत्योदय योजना - राष्ट्रीय शहरी आजीविका मिशन (DAY-NULM)

  • लक्ष्य: शहरी गरीब महिलाओं को रोजगार और कौशल विकास।
  • लाभ: स्वरोजगार और समूह ऋण सहायता।

10. मातृत्व सहयोग योजना (Janani Suraksha Yojana)

  • लक्ष्य: गर्भवती महिलाओं को संस्थागत प्रसव के लिए प्रोत्साहित करना।
  • लाभ: आर्थिक सहायता और मुफ्त प्रसव सुविधाएं।

11. विधवा पेंशन योजना

  • लक्ष्य: गरीब विधवा महिलाओं को वित्तीय सहायता।
  • लाभ: हर महीने पेंशन।

12. महिला ई-हाट

  • लक्ष्य: महिलाओं के उत्पादों को डिजिटल प्लेटफॉर्म पर बेचने में मदद।
  • लाभ: बाजार पहुंच और व्यापारिक प्रोत्साहन।

अगर आप इनमें से किसी योजना की विस्तृत जानकारी चाहते हैं, तो बताएं!

महाकुंभ मेला का इतिहास और महत्व** | History and Importance of Maha Kumbh Mela** | India and Kumbh Mela


 **महाकुंभ मेला का इतिहास और महत्व**  


महाकुंभ मेला भारत के सांस्कृतिक और धार्मिक इतिहास का एक अनूठा पर्व है। यह मेला हर 12 साल में चार पवित्र स्थलों—प्रयागराज (गंगा, यमुना और सरस्वती के संगम पर), हरिद्वार (गंगा नदी पर), उज्जैन (शिप्रा नदी पर), और नासिक (गोदावरी नदी पर)—पर बारी-बारी से आयोजित होता है।  


### **महाकुंभ मेले का इतिहास**  

महाकुंभ मेले का उल्लेख प्राचीन ग्रंथों, जैसे कि पुराणों, महाभारत और अन्य हिन्दू धार्मिक साहित्य में मिलता है।  

- **पौराणिक कथा**:  

  महाकुंभ मेले की उत्पत्ति समुद्र मंथन की कथा से जुड़ी है। देवता और असुर अमृत पाने के लिए समुद्र मंथन कर रहे थे। जब अमृत कलश निकला, तो इसे लेकर देवता और असुरों के बीच संघर्ष हुआ। इस दौरान अमृत की कुछ बूंदें चार स्थानों—प्रयागराज, हरिद्वार, उज्जैन और नासिक—पर गिरीं। इन्हीं स्थानों पर कुंभ मेले का आयोजन किया जाता है।  

- **ऐतिहासिक संदर्भ**:  

  इसका पहला लिखित उल्लेख चीनी यात्री ह्वेनसांग ने 7वीं सदी में किया था। उसने प्रयागराज में गंगा के किनारे एक विशाल मेले का वर्णन किया, जहां लाखों श्रद्धालु एकत्रित होते थे।  


### **महत्त्व**  

1. **धार्मिक महत्त्व**:  

   कुंभ मेला हिंदू धर्म में मोक्ष प्राप्ति का प्रतीक है। मान्यता है कि इस मेले में पवित्र नदियों में स्नान करने से पापों का नाश होता है और व्यक्ति को मुक्ति मिलती है।  

   

2. **सांस्कृतिक एकता**:  

   महाकुंभ मेला विविधता में एकता का प्रतीक है। इसमें सभी जाति, धर्म और क्षेत्र के लोग भाग लेते हैं, जिससे भारतीय संस्कृति की समृद्धि और एकता का प्रदर्शन होता है।  


3. **आध्यात्मिक जागृति**:  

   मेले के दौरान साधु-संतों, योगियों और धर्मगुरुओं का प्रवचन और सत्संग होता है, जो आध्यात्मिक ज्ञान और जीवन मूल्यों को प्रोत्साहित करता है।  


4. **अंतरराष्ट्रीय पहचान**:  

   महाकुंभ मेला न केवल भारत के लिए बल्कि दुनिया के लिए भी आकर्षण का केंद्र है। इसे 2017 में यूनेस्को द्वारा मानवता की अमूर्त सांस्कृतिक विरासत के रूप में मान्यता दी गई।  

**विशेष आकर्षण**  

- **शाही स्नान**:  

  कुंभ मेले का मुख्य आकर्षण शाही स्नान है, जिसमें नागा साधु और अन्य साधु विशेष तिथियों पर पवित्र नदियों में स्नान करते हैं।  

- **अखाड़ों की परंपरा**:  

  विभिन्न अखाड़े (संतों के संगठन) मेले में अपनी परंपराओं और शक्ति का प्रदर्शन करते हैं।  

 **निष्कर्ष**  

महाकुंभ मेला भारतीय धार्मिक और सांस्कृतिक जीवन का एक महत्वपूर्ण हिस्सा है। यह न केवल श्रद्धालुओं के लिए आस्था का केंद्र है, बल्कि भारत की समृद्ध सांस्कृतिक विरासत और सामाजिक समरसता का प्रतीक भी है।

सोमवार

महाकुंभ मेला 13 जनवरी 26फरवरी को 2025 प्रयागराज में होगा

 महाकुंभ मेला 13 जनवरी को शुरू होगा और 26 फरवरी को महाकुंभ का समापन होगा कुंभ मेला 2025: हर 3 साल में कुंभ मेला आता है और इस कुंभ 


का आयोजन होता है, हर 6 साल में अर्धकुंभ का आयोजन होता है और हर 12 साल में महाकुंभ का आयोजन होता है। साल 2013 में प्रयाग में महाकुंभ का आयोजन हुआ था। फिर 2019 में प्रयाग में अर्धकुंभ मेले का आयोजन हुआ था। अब वर्ष 2025 में मध्यरात्रि में महाकुंभ का आयोजन होगा। इस चार स्थानों पर होता है कुंभ मेला का आयोजन

पौराणिक कथाओं के अनुसार, समुद्र मंथन के दौरान जब अमृत कलश निकला था तब उसके कुछ वृक्षों के कलश से समंदर, हरिद्वार, नासिक और नासिक में गिरीं थी इसलिए चार स्थानों पर ही कुंभ मेले का आयोजन होता है। महाकुंभ मेले में शाही स्नान का विशेष महत्व होता है और इस दौरान हर क्षेत्र अपने शाही लाव-लश्कर के साथ संगम के तट पर प्रवेश करता है और सभी नाचते संगम तट पर स्नान करते हैं

महाकुंभ मेला 2025 सनातन धर्म का महा पर्व

सन सनातन धर्म का महा मेला महा कुंभ मेला 2025

यह वह स्थान है जहां गंगा का मटमैला पानी है। अदृश्य मानस जाने वाली सरस्वती नदी की अन्तर्निहित व्याख्या। वैसे तो यह अदृश्य नदी भूगर्भ में बहती हुई मानी जाती है। संगम सिविल लाइन्स से 7 किमी. इसे अकबर किले के परकोटे से भी देखा जा सकता है असे 

पवित्र संगम पर दूर-दूर तक पानी और मिट्टी के तट अंकित हैं नदी के बीच विधि-समुद्र तट एक छोटे से प्लाट फॉर्म पर है आधारित पुजारी-विधान से पूजा-आरक्षण संरचनाएं हैं धर्मपारायण हिन्दू के लिए संगम में एक उजागर जीवन को पवित्र करने वाली मानी जाती है। संगम के लिए नाव किले के पास से किराया लिया जा सकता है। कुम्भ/महाकुंभ पर संगम मनोरोगी हो जाता है। देश विदेश भर से यहां लोक आते हैं और इसकी मूर्तियां हैं महा कुंभ मेला 2025 का आयोजन होगा और इस महा कुंभ मेला में 40 करोड़ श्रद्धालु आने वाले है क्या आप जायेंगे इस हिन्दू धर्म के महा कुंभ में 

रविवार

गोंदू लुटेरा और पोलिस वाले


गोंडू लुटेरा उस कसबे के लोगों के लिए खौफ का दूसरा नाम बना हुआ था. भद्दे चेहरे, भारी डीलडौल वाला गोंडू बहुत ही बेरहम था. वह लोफरों के एक दल का सरदार था. अपने दल के साथ वह कालोनियों पर धावा बोलता था. कहीं चोरी करता, कहीं मारपीट करता और जोकुछ लूटते बनता लूट कर चला जाता.
कसबे के सभी लोग गोंडू का नाम सुन कर कांप उठते थे. उसे तरस और दया नाम की चीज का पता नहीं था. वह और उस का दल सारे इलाके पर राज करता था.
पुलिस वाले भी गोंडू लुटेरा से मिले हुए थे. पार्टी का गमछा डाले वह कहीं भी घुस जाता और अपनी मनमानी कर के ही लौटता.
गोंडू का मुकाबला करने की ताकत कसबे वालों में नहीं थी. जैसे ही उन्हें पता चलता कि गोंडू आ रहा है, वे अपनी दुकान व बाजार छोड़ कर अपनी जान बचाने के लिए इधरउधर छिप जाते.
यह इतने लंबे अरसे से हो रहा था कि गोंडू और उस के दल को सूनी गलियां देखने की आदत पड़ गई थी.
बहुत दिनों से उन्होंने कोई दुकान नहीं देखी थी जिस में लाइट जल रही हो. उन्हें सूनी और मातम मनाती गलियों और दुकानों के अलावा और कुछ भी देखने को नहीं मिलता था.
एक अंधेरी रात में गोंडू और उस के साथी लुटेरे जब एक के बाद एक दुकानों को लूटे जा रहे थे तो उन्हें बाजार खाली ही मिला था.
‘‘तुम सब रुको…’’ अचानक गोंडू ने अपने साथियों से कहा, ‘‘क्या तुम्हें वह रोशनी दिखाई दे रही है जो वहां एक दुकान में जल रही है?
‘‘जब गोंडू लूटपाट पर निकला हो तो यह रोशनी कैसी? जब मैं किसी महल्ले में घुसता हूं तो हमेशा अंधेरा ही मिलता है.
‘‘उस रोशनी से पता चलता है कि कोई ऐसा भी है जो मुझ से जरा भी नहीं डरता. बहुत दिनों के बाद मैं ने ऐसा देखा है कि मेरे आने पर कोई आदमी न भागा हो.’’
‘‘हम सब जा कर उस आदमी को पकड़ लाएं?’’ लुटेरों के दल में से एक ने कहा.
‘‘नहीं…’’ गोंडू ने मजबूती से कहा, ‘‘तुम सब यहीं ठहरो. मैं अकेला ही उस हिम्मती और पागल आदमी से अपनी ताकत आजमाने जाऊंगा.
‘‘उस ने अपनी दुकान में लाइट जला कर मेरी बेइज्जती की है. वह आदमी जरूर कोई जांबाज सैनिक होगा. आज बहुत लंबे समय बाद मुझे किसी से लड़ने का मौका मिला है.’’
जब गोंडू दुकान के पास पहुंचा तो यह देख कर हैरान रह गया कि एक बूढ़ी औरत के पास दुकान पर केवल 12 साल का एक लड़का बैठा था.
औरत लड़के से कह रही थी, ‘‘सभी लोग बाजार छोड़ कर चले गए हैं. गोंडू के यहां आने से पहले तुम भी भाग जाओ.’’
लड़के ने कहा, ‘‘मां, तुम ने मुझे जन्म दिया, पालापोसा, मेरी देखभाल की और मेरे लिए इतनी तकलीफें उठाईं. मैं तुम्हें इस हाल में छोड़ कर कैसे जा सकता हूं? तुम्हें यहां छोड़ कर जाना बहुत गलत होगा.
‘‘देखो मां, मैं लड़ाकू तो नहीं??? हूं, एक कमजोर लड़का हूं, पर तुम्हारी हिफाजत के लिए मैं उन से लड़ कर मरमिटूंगा.’’
एक मामूली से लड़के की हिम्मत को देख कर गोंडू हैरान हो उठा. उस समय उसे बहुत खुशी होती थी जब लोग उस से जान की भीख मांगते थे, लेकिन इस लड़के को उस का जरा भी डर नहीं.
‘इस में इतनी हिम्मत और ताकत कहां से आई? जरूर यह मां के प्रति प्यार होगा,’ गोंडू को अपनी मां का खयाल आया जो उसे जन्म देने के बाद मर गई थी. अपनी मां के चेहरे की हलकी सी याद उस के मन में थी.
उसे अभी तक याद है कि वह किस तरह खुद भूखी रह कर उसे खिलाती थी. एक बार जब वह बीमार था तब वह कई रात उसे अपनी बांहों में लिए खड़ी रही थी. वह मर गई और गोंडू को अकेला छोड़ गई. वह लुटेरा बन गया और अंधेरे में भटकने लगा.
गोंडू को ऐसा महसूस हुआ कि मां की याद ने उस के दिल में एक रोशनी जला दी है. उस की जालिम आंखों में आंसू भर आए. उसे लगा कि वह फिर बच्चा बन गया है. उस का दिल पुकार उठा, ‘मां… मां…’
उस औरत ने लड़के से फिर कहा, ‘‘भाग जाओ मेरे बच्चे… किसी भी पल गोंडू इस जलती लाइट को देख कर दुकान लूटने आ सकता है.’ तभी गोंडू दुकान में घुसा. मां और बेटा दोनों डर गए.
गोंडू ने कहा, ‘‘डरो नहीं, किसी में इस लाइट को बुझाने की ताकत नहीं है. मां के प्यार ने इसे रोशनी दी है और यह सूरज की तरह चमकेगा. दुकान छोड़ कर मत जाओ.
‘‘बदमाश गोंडू मर गया है. तुम लोग यहां शांति से रहो. लुटेरों का कोई दल कभी इस जगह पर हमला नहीं करेगा.’’
‘‘लेकिन… लेकिन, आप कौन हैं?’’ लड़के ने पूछा.
वहां अब खामोशी थी. गोंडू बाहर निकल चुका था.
उस रात के बाद किसी ने गोंडू और उस के लुटेरे साथियों के बारे में कुछ नहीं सुना.
कहीं से उड़ती सी खबर आई कि गोंडू ने कोलकाता जा कर एक फैक्टरी में काम ले लिया था. उस के साथी भी अब उसी के साथ मेहनत का काम करने लगे थे.

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लाडक्या बहि‍णींसाठी आनंदाची बातमी आहे. लाडकी बहीण योजनेत जानेवारी चा हफ्ता 1500 जमा होन्यास शुरुआत झाली आहे | खटाखट पैसे जमा होण्यास सुरुवात; तुम्हाला आला की नाही

                                                                लाडक्या बहिणींसाठी सर्वात मोठी गुडन्यूज! खटाखट पैसे जमा होण्यास सुरुवात; तुम...